दिव्यांग होने की वजह से 25 साल के शुभम जोशी को नौकरी नहीं मिल पा रही थी। कहीं नौकरी मिलती तो लोग उन्हें सैलरी नहीं देते थे। इन मुश्किलों में ...
“लड़के नहीं नाचते” लोग हमसे कहते रहे! पर मैंने और मेरे बेटे ने तानों पर नहीं, गानों पर ध्यान दिया और हर एक ताल के साथ रुढियों को तोड़ते रहे!
आपके घर के किसी न किसी संदूक में यादों का पिटारा होगा और उसमें होंगे आपके बच्चे के पुराने छोटे-छोटे कपड़े! इन कपड़ों को ना हम फ़ेंक सकते हैं ना ...
खेती की जमीन बेच दी, दिन-रात मेहनत की, ताकि बेटा एक दिन बड़ा क्रिकेटर बन सके। पिता ने जो सपना देखा, वैभव ने उसे सच कर दिखाया! अब बिहार का ...